दया का सफ़र, दुःख की मंजिल

दुनिया में हम/हम लोग/मैं लोग जीवन शुरू करते हैं और अपने/एक दूसरे के/हर किसी का साथ भागीदार होते हैं. यह/वह/उसका सफर कभी-कभी आसान होता है, ल�

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